इन 10 लग्ज़री फार्मिंग से किसान बन रहे हैं करोड़पति – नंबर 5 आपको हैरान कर देगा

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इन 10 लग्ज़री फार्मिंग से किसान बन रहे हैं करोड़पति – नंबर 5 आपको हैरान कर देगा

लग्ज़री फार्मिंग : भारत में खेती अब सिर्फ गुज़ारे का साधन नहीं, बल्कि लग्ज़री बिज़नेस बन चुकी है। आज मैं आपको ऐसी 10 लग्ज़री फार्मिंग के बारे में बताने जा रहा हूं, जिन्हें देखकर आप तय नहीं कर पाएंगे कि कौन सी खेती करें और कौन सी छोड़ें! ये फसलें न केवल आपकी इज़्जत और पहचान बढ़ाएंगी, बल्कि बैंक बैलेंस भी कई गुना बढ़ा देंगी। साथ ही, सरकार की 50% से 80% तक की सब्सिडी भी इन खेतियों पर लागू होती है।


🥝 कीवी की खेती – ठंडे मौसम की सोने की फसल

कीवी की खेती ठंडी और हल्की नमी वाली जगहों में होती है। अगर आप गर्म इलाके में रहते हैं, तो कंट्रोल एनवायरमेंट यानी पॉलीहाउस में खेती करनी होगी। एक एकड़ में लगभग 200 पौधे लगाए जाते हैं, जो तीन से चार साल में तैयार होते हैं और पांचवें साल से कमर्शियल उत्पादन शुरू कर देते हैं। सातवें साल तक एक पौधा 25 से 40 किलो फल देता है। एक एकड़ की खेती से सालाना ₹18 से ₹28 लाख तक की कमाई संभव है।
इन्वेस्टमेंट ₹2–3 लाख तक होता है, जबकि कंट्रोल एनवायरमेंट में लागत बढ़कर ₹10 लाख तक जा सकती है। सरकार इस पर 50–75% सब्सिडी देती है।

इन 10 लग्ज़री फार्मिंग से किसान बन रहे हैं करोड़पति – नंबर 5 आपको हैरान कर देगा

🌿 जिनसेंग की खेती – इंडियन अश्वगंधा से भी कीमती पौधा

जिनसेंग एक स्लो-ग्रोइंग मेडिसिनल क्रॉप है, जो 5–6 साल में पूरी तरह तैयार होती है। एक एकड़ में 25,000–50,000 पौधे लगाए जा सकते हैं। हर पौधे से औसतन 50–70 ग्राम रूट निकलता है। जिनसेंग रूट का भाव ₹10,000 प्रति किलो तक जाता है, जिससे एक एकड़ से ₹1.5 करोड़ से ₹3 करोड़ तक की कमाई हो सकती है।
कुल लागत ₹5–6 लाख तक रहती है, और सरकार 50–80% तक की सब्सिडी देती है। यह खेती अभी ट्रायल फेज़ में है, लेकिन भविष्य में यह भारत की सबसे प्रॉफिटेबल मेडिसिनल फार्मिंग बन सकती है।


🌰 पिस्ता की खेती – 100 साल तक देने वाली इनकम

पिस्ता के पौधों पर तीसरे साल से फल लगना शुरू हो जाता है। एक परिपक्व पौधा 15–20 साल में 30–50 किलो तक उत्पादन देता है। यह एक अल्टरनेट बेयरिंग पौधा है यानी एक साल ज़्यादा उत्पादन तो अगले साल थोड़ा कम।
एक एकड़ में 260–270 पौधे लगाए जाते हैं। लागत ₹60,000–₹70,000 आती है और सालाना कमाई ₹50 से ₹55 लाख तक हो सकती है। पिस्ता की खेती में 50% तक की सब्सिडी मिलती है।


🌿 इलायची की खेती – ग्रीन गोल्ड का नया नाम

इलायची को “ग्रीन गोल्ड” कहा जाता है। यह शेड-लविंग ट्रॉपिकल पौधा है, जिसे पॉलीहाउस या पेड़ों की छांव में उगाया जाता है। एक एकड़ में 500–1000 पौधे लगाए जा सकते हैं। 2 साल बाद फल आने लगते हैं और पांचवें साल तक पौधा पूरी तरह तैयार हो जाता है।
एक एकड़ से 250 से 1000 किलो इलायची की पैदावार होती है और सालाना ₹5 से ₹20 लाख की कमाई होती है। खेती की लागत ₹2.5 लाख के आसपास और सब्सिडी 40–50% तक मिलती है।


🌸 वनीला की खेती – 12 करोड़ तक की कमाई वाली फसल

वनीला दक्षिण भारत की फसल है, लेकिन अब नॉर्थ में भी कंट्रोल एनवायरमेंट में उगाई जा रही है। एक एकड़ में 14,000 पौधे लगाए जाते हैं, और 2.5 साल बाद पहली पैदावार शुरू होती है।
पीक प्रोडक्शन में एक एकड़ से ₹1.5 करोड़ से ₹12 करोड़ तक की कमाई संभव है। लागत लगभग ₹2 करोड़ तक आती है, लेकिन सरकार 40–50% सब्सिडी देती है। यह भारत की सबसे प्रॉफिटेबल लग्ज़री फार्मिंग में से एक है।


🌳 अगरवुड (अगरबत्ते की लकड़ी) की खेती – जोखिम भरी लेकिन करोड़ों की कमाई

अगरवुड को “Liquid Gold Tree” कहा जाता है। इसकी लकड़ी ₹100 से ₹5 लाख प्रति किलो तक बिकती है, और तेल ₹1–₹10 लाख प्रति लीटर तक। एक एकड़ से ₹20 लाख से ₹45 करोड़ तक कमाई संभव है।
एक एकड़ में 400–600 पौधे लगाए जाते हैं। लागत ₹2 लाख के आसपास आती है, और सरकार की तरफ से 75% तक की सब्सिडी मिलती है।


🧂 काली मिर्च की खेती – मसालों की रानी

काली मिर्च 2–5 साल में उत्पादन देने लगती है। एक एकड़ में 900–1200 पौधे लगाए जाते हैं। एक परिपक्व पौधा 2–3 किलो सूखी मिर्च देता है।
एक एकड़ से सालाना ₹11 से ₹15 लाख की कमाई होती है। लागत ₹1.5 लाख और सब्सिडी 40–50% तक मिलती है।


🌲 चंदन की खेती – धीमी लेकिन करोड़ों की खेती

चंदन का पौधा 25–30 साल में तैयार होता है। एक पौधा ₹2–5 लाख में बिकता है। एक एकड़ में 400–600 पौधे लगाए जाते हैं, जिससे औसतन ₹17 करोड़ की कमाई होती है।
लागत ₹1.5 लाख तक आती है और सरकार ₹28,000 तक की सब्सिडी देती है। कई राज्यों में पौधे फ्री में उपलब्ध कराए जाते हैं।


🌿 सफेद मूसली की खेती – हर्बल गोल्ड की खेती

सफेद मूसली की खेती बीज या कंद से की जा सकती है। कंद से खेती करने पर पौधे 5 महीने में तैयार हो जाते हैं। एक एकड़ से 25–35 क्विंटल गीला माल और सुखाने पर 4–6 क्विंटल सूखा माल मिलता है।
मंडी में रेट ₹1200–₹1700 प्रति किलो तक रहता है। सालाना कमाई ₹6–₹8.5 लाख, जबकि निवेश लगभग ₹1.5 लाख का होता है। सरकार 20–50% तक सब्सिडी देती है।


🍄 कॉडिसेप्स मिलिटरिस – लैब बेस्ड करोड़ों की खेती

कॉडिसेप्स मिलिटरिस एक सुपर प्रीमियम मेडिसिनल फंगस है, जिसे “हिमालयन वायाग्रा” कहा जाता है। यह खुले खेत में नहीं, बल्कि छोटे लैब रूम में उगाया जाता है।
1000 जार से 8–10 किलो ड्राई कॉडिसेप्स मिलती है, जिसकी कीमत ₹1–₹1.5 लाख प्रति किलो है। साल में 3–4 बार हार्वेस्टिंग संभव है, जिससे हर 4 महीने में ₹10–₹12 लाख की कमाई होती है। इन्वेस्टमेंट ₹3–₹5 लाख और सरकार की 35–50% सब्सिडी मिलती है।


🌾 निष्कर्ष – कौन सी खेती है आपके लिए सही?

ये 10 लग्ज़री फार्मिंग न केवल पारंपरिक खेती का विकल्प हैं बल्कि करोड़ों की कमाई के रास्ते खोलती हैं। अगर आप भी खेती के साथ आधुनिक सोच जोड़ना चाहते हैं, तो इनमें से किसी एक फार्मिंग को अपनाकर अपना नाम, रुतबा और बैंक बैलेंस तीनों बढ़ा सकते हैं।
अब फैसला आपका है – कौन सी खेती आपकी किस्मत बदलने वाली है?

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