सीड्स बिल विवाद गहराया: SKM बोला—यह कानून किसानों से बीजों का अधिकार छीन लेगा

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सीड्स बिल विवाद गहराया: SKM बोला—यह कानून किसानों से बीजों का अधिकार छीन लेगा

सीड्स बिल विवाद: देशभर में किसानों के बीच ड्राफ्ट सीड्स बिल को लेकर गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। इस लेख में हम बताएंगे कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) इस बिल का विरोध क्यों कर रहा है, क्यों किसानों से ड्राफ्ट बिल की प्रतियां जलाने की अपील की गई है, और SKM का आरोप है कि यह कानून बीज आपूर्ति पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) और कॉर्पोरेट घरानों का नियंत्रण बढ़ाने के लिए बनाया गया है। साथ ही, यह लेख बताएगा कि यह बिल खाद्य सुरक्षा, बीज संप्रभुता और राज्यों के संघीय अधिकारों को किस तरह प्रभावित कर सकता है।


SKM का आरोप: सीड्स बिल खाद्य सुरक्षा और किसानों के अधिकारों के खिलाफ

संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है कि ड्राफ्ट सीड्स बिल, 1966 के मौजूदा कानून को बदलने के नाम पर, बीजों की सप्लाई को धीरे-धीरे कॉर्पोरेट नियंत्रण में देने का काम करेगा। SKM का कहना है कि यह बिल किसानों की नहीं, बल्कि कंपनियों की जरूरतों के अनुसार तैयार किया गया है।
मोर्चा का आरोप है कि बिल राज्यों के अधिकारों को कमजोर करता है और भारत की खाद्य सुरक्षा एवं बीज संप्रभुता पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। SKM ने इसे “विनाशकारी” बताते हुए कहा कि यह बिल खेती को बाजार-उन्मुख मॉडल की ओर धकेल देगा, जहां किसानों की जरूरतें और मौसमी मांगें पीछे छूट जाएंगी।


MNCs को फायदा पहुंचाने का आरोप, किसानों के हितों की उपेक्षा

SKM ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह बिल उसी लक्ष्य को पूरा करता है जिसे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कानून ने हासिल करने की कोशिश की थी। उनका कहना है कि इससे फसल पैटर्न कंपनियों के बाजार हितों के हिसाब से तय होंगे, न कि किसानों या ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अनुसार।
मोर्चा का कहना है कि बिल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जो किसानों को सस्ते और गुणवत्ता वाले बीज समय पर उपलब्ध कराए। न ही किसानों की वित्तीय सुरक्षा या खेती को लाभदायक बनाने के उपायों का उल्लेख है।
SKM के अनुसार, बीजों पर कॉर्पोरेट नियंत्रण बढ़ने से भारतीय जैव विविधता को भी खतरा हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप स्थानीय किस्में और पारंपरिक बीज व्यवस्था कमजोर हो सकती है।


8 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी विरोध की घोषणा

SKM ने किसानों से अपील की है कि वे 8 दिसंबर 2025 को अपने गांवों में ड्राफ्ट सीड्स बिल की प्रतियां जलाकर इस कानून का विरोध करें। मोर्चा का कहना है कि यह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि देश की बीज संप्रभुता की रक्षा का आंदोलन है।
किसानों, मजदूरों और ग्रामीण समुदायों को एकजुट होकर इस बिल को रोकने के लिए सामने आने की अपील की गई है। SKM का मानना है कि यह बिल न सिर्फ किसानों की स्वतंत्रता बल्कि देश की भोजन व्यवस्था को भी खतरे में डाल सकता है।


सरकार ने 12 नवंबर को जारी किया था ड्राफ्ट बिल

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 12 नवंबर को इस बिल का ड्राफ्ट जारी किया था और जनता से 11 दिसंबर तक सुझाव और प्रतिक्रियाएँ मांगी थीं। इसी अवधि के भीतर किसान संगठनों में इस बिल के खिलाफ व्यापक असंतोष देखने को मिला है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी बीज कानून का उद्देश्य किसानों की सुविधा, खाद्य सुरक्षा और कृषि विकास होना चाहिए, न कि बाजार-आधारित नियंत्रण को बढ़ावा देना। SKM ने इन्हीं बातों को आधार बनाते हुए बिल को तत्काल वापस लेने की मांग की है।


FAQs

प्रश्न 1: SKM ड्राफ्ट सीड्स बिल का विरोध क्यों कर रहा है?
SKM का कहना है कि यह बिल बीजों पर MNCs का नियंत्रण बढ़ाएगा और किसानों की स्वतंत्रता को सीमित कर देगा।

प्रश्न 2: SKM ने 8 दिसंबर को क्या करने की अपील की है?
किसानों से ड्राफ्ट सीड्स बिल की प्रतियां जलाने और गांव स्तर पर विरोध दर्ज कराने की अपील की गई है।

प्रश्न 3: SKM का आरोप है कि बिल खाद्य सुरक्षा को कैसे प्रभावित करेगा?
उनका कहना है कि बीज आपूर्ति कॉर्पोरेट हितों के नियंत्रण में आ जाएगी, जिससे फसल पैटर्न और खाद्य विविधता प्रभावित होगी।

प्रश्न 4: क्या यह बिल राज्यों के अधिकारों को प्रभावित करेगा?
हाँ, SKM का दावा है कि यह बिल संघीय ढांचे को कमजोर करके राज्यों के अधिकारों पर असर डालता है।

प्रश्न 5: यह बिल किस कानून की जगह लाने का प्रस्ताव है?
यह बिल मौजूदा Seeds Act, 1966 को बदलने के लिए लाया गया है।

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