Soil Health Card Scheme: Soil Health Card योजना की भूमिका, प्रक्रिया और इसके लाभों पर आधारित है और बताता है कि कैसे यह कार्ड देशभर के किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने में मदद कर रहा है। इस कार्ड के माध्यम से किसान अपनी मिट्टी की स्थिति, उसमें मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा और सही खाद मात्रा की जानकारी प्राप्त कर बेहतर फसल उत्पादन कर सकते हैं।
मिट्टी की जांच अब बनेगी खेती का विज्ञान
भारत में लंबे समय तक किसान फसल चुनने से लेकर उर्वरक उपयोग तक अंदाज़े पर निर्भर रहे। लेकिन Soil Health Card योजना ने खेती को अनुमान से निकालकर विज्ञान पर आधारित कर दिया है। यह कार्ड किसान को बताता है कि उसकी जमीन में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक, आयरन और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व कितने हैं। इसके साथ pH स्तर, कार्बन मात्रा और मिट्टी के स्वास्थ्य की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी शामिल होती है।

कैसे बनता है Soil Health Card
रबी या खरीफ सीजन के बाद प्रशिक्षित अधिकारी किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने लेते हैं। नमूने खेत के केंद्र और कोनों से लिए जाते हैं ताकि रिपोर्ट सटीक हो। इसके बाद नमूने को लैब में भेजा जाता है जहाँ 12 महत्वपूर्ण पैरामीटर्स पर परीक्षण किया जाता है। परीक्षण पूरा होने के बाद जानकारी NIC पोर्टल पर अपलोड की जाती है और किसान को Soil Health Card प्रिंट या डिजिटल फॉर्म में उपलब्ध होता है।
किसानों को क्या मिलेगा लाभ
Soil Health Card मिलने के बाद किसान अपनी भूमि के लिए सही फसल चुन सकता है, सही मात्रा में और सही प्रकार का उर्वरक इस्तेमाल कर सकता है और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को संतुलित कर सकता है। इससे उत्पादन बढ़ता है, लागत कम होती है और आय में वृद्धि होती है। यह योजना केवल खेती को आधुनिक बनाने की दिशा नहीं बल्कि भूमि संरक्षण और स्थायी कृषि नीति की ओर महत्वपूर्ण कदम है।
यह योजना सिर्फ सुविधा नहीं भविष्य की खेती का आधार
Soil Health Card योजना ने किसान को जानकारी, तकनीक और वैज्ञानिक सोच से जोड़ दिया है। इसे सिर्फ सरकारी पहल नहीं बल्कि किसान सम्मान और उनकी आजीविका सुरक्षित करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।







